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thyroid symptoms in hindi

थायराइड रोग के कारण, लक्षण, निदान व् उपचार- thyroid symptoms in hindi

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1 थायराइड क्या है (What is Thyroid in Hindi?)
1.2 थायराइड के लक्षण (thyroid symptoms in hindi)

थायराइड क्या है (What is Thyroid in Hindi?)

thyroid symptoms in hindi: थायराइड हमारे गले में मौजूद तितली के आकार (butterfly shaped) की शरीर की सबसे बड़ी अंतःस्रावी ग्रंथियों (endocrine glands) में से एक अंतस्रावी ग्रंथि है इसे अवटु ग्रंथि भी कहा जाता है

  • यह द्विपिण्डक ग्रंथि हमारे गले में स्वरयंत्र (larynx) के नीचे Cricoid cartilage के स्तर के समान जगह पर मौजूद होती है

इस ग्रंथि का मुख्य कार्य हमारे शरीर में कोशिकाओं के स्तर पर (cellular level) चयापचय क्रिया (metabolism) को नियंत्रित करना होता है

इस कार्य को करने के लिए थायराइड ग्रंथि मुख्य रूप से दो प्रकार के हार्मोन…

  • T3- triiodothyronine (have 3 iodine atoms)
  • T4- thyroxine (have 4 iodine atoms) को बनाती है

इन थायराइड हार्मोनस (thyroid hormones) को सही से बनाने के लिए हमारे आहार में सही मात्रा में आयोडीन (iodine) का होना बहुत जरूरी है 

  • इसीलिए आजकल पूरे भारतवर्ष में आयोडीन युक्त नमक के इस्तेमाल का चलन बढ़ता जा रहा है
  • थायराइड हार्मोन हमारे शरीर के हर अंग के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए बहुत जरूरी है

ऐसा इसलिए है क्योंकि थायराइड हार्मोन हर अंग के Cell metabolism को नियंत्रित करते हैं

  • त्वचा, बाल, ह्रदय, पेट, गुर्दे, यकृत इत्यादि हर एक अंग की कार्यशैली को सुचारू रूप से चलाने के लिए थायराइड हार्मोनस का बहुत अहम रोल है
  • थायराइड ग्रंथि का नियंत्रण Pituitary ग्रंथि के द्वारा होता है जो कि हमारे मस्तिष्क में स्थित होती है

Pituitary ग्रंथि TSH (thyroid stimulating hormone) नामक हार्मोन को बनाती है 

  • TSH आगे थायराइड ग्रंथि को T 3 तथा T 4 हार्मोन बनाने के लिए उत्तेजित (stimulate) करता है

इसीलिए Pituitary ग्रंथि को हमारे शरीर की Master ग्रंथि भी कहते हैं

  • Pituitary ग्रंथि को Thyroid stimulating hormone बनाने के लिए दिमाग का एक हिस्सा hypothalamus प्रेरित करता है 

इसके लिए hypothalamus के द्वारा सबसे पहले Thyrotropin Releasing Hormone (TRH) का निर्माण किया जाता है


थायराइड के विकार (Thyroid Types in Hindi)

thyroid symptoms in hindi: दुनिया भर में प्रमुख रूप से थायराइड में होने वाले प्रमुख दो विकार इस प्रकार है जैसे कि…

  • हाइपोथायराइड (hypothyroid) 
  • हाइपरथायराइड (hyperthyroid)

1. हाइपोथायराइड (hypothyroidism in hindi)

किसी भी कारणवश अगर थायराइड ग्रंथि अपना कार्य सामान्य से कम करने लगे (under-active thyroid) अर्थात उसकी सक्रियता में कमी आ जाए तो उसे हाइपोथायराइड (hypothyroid) कहते हैं 

  • इस स्थिति में थायराइड हार्मोनस यानि T 3 तथा T 4 कम बनते हैं

परंतु Pituitary ग्रंथि के तुरंत एक्शन में आने के कारण TSH हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है

अवटु अल्पक्रियता (Sub-clinical hypothyroidism)

हाइपोथायराइड के शुरुआती दिनों में T 3 व T 4 हार्मोन का स्तर लगभग सामान्य रहता है तथा TSH हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है 

इसे  अवटु अल्पक्रियता (Sub-clinical hypothyroidism) कहते हैं जोकि हाइपोथायराइड की पहली शुरुआती स्टेज है

इस स्टेज में ज्यादातर लोगों को किसी भी प्रकार की चिकित्सा की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि इस अवस्था में इसके लक्षण लगभग ना के बराबर ही होते हैं 

  • परंतु अगर कोई महिला गर्भवती है या गर्भवती होने की योजना बना रही है तो ऐसी स्थिति में हाइपोथायराइड (hypothyroid) की चिकित्सा करनी पड़ती है 

क्योंकि हाइपोथायराइड (hypothyroid) के कारण गर्भ में पल रहे बच्चे पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ सकता है

गर्भावस्था में TSH हार्मोन के स्तर को नार्मल रेंज में रखना अति जरूरी है

  • गर्भावस्था के दौरान TSH हार्मोन का स्तर 2.5 mlU/L से कम रखना रखना बहुत जरूरी है
  • अगर TSH हार्मोन का स्तर गर्भावस्था के दौरान 5 से  10 mlU/L के बीच है तो इस स्थिति में अपने चिकित्सक से परामर्श करना जरूरी है
  • गर्भावस्था के दौरान TSH हार्मोन का स्तर 10 mlU/L से ज्यादा है तो इस स्थिति में इसका नियंत्रण करना बहुत ही जरूरी है

ऐसी स्थिति में डॉक्टरों के द्वारा Thyroxine दवा का इस्तेमाल सुबह खाली पेट चाय या कॉफी पीने के आधा घंटा पहले करवाया जाता है

  • आमतौर पर Thyroxine दवा का इस्तेमाल जीवनभर (lifelong) के लिए किया जाता है

Thyroxine दवा के सेवन के दौरान समय-समय पर TSH हार्मोन के स्तर की जांच के लिए ब्लड टेस्ट करवाना जरूरी होता है

  • ब्लड टेस्ट के माध्यम से ही चिकित्सक को Thyroxine दवा की सही मात्रा का पता लगता है

हाइपोथायराइड (hypothyroid) के मरीज में TSH हार्मोन के स्तर को सही से पता करने के लिए यह ब्लड टेस्ट आमतौर पर 6 सप्ताह के बाद कराया जाता है


हाइपोथायराइड में क्या नहीं खाना चाहिए? (hypothyroidism in hindi) 

सामान्य स्थिति में हाइपोथायराइड के मरीज को आहार में कोई खास परहेज की जरूरत नहीं पड़ती

  • परंतु कुछेक खाद्य पदार्थ जैसे ब्रोकली, bok choy, सोयाबीन इत्यादि को सामान्य मात्रा में ही खाना चाहिए हर दिन ऐसे पदार्थों का सेवन अत्यधिक मात्रा में करने से हाइपोथायराइड के लक्षणों में वृद्धि कुछ मामलों में देखी जाती है

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2. हाइपरथायराइड (hyperthyroidism in hindi)

किसी भी कारणवश थायराइड ग्रंथि अपना कार्य सामान्य से तेज गति से करने लगे (overactive thyroid) अर्थात उसकी सक्रियता में बढ़ोतरी हो जाए तो उसे हाइपरथायराइड (Hyperthyroid) कहते हैं 

  • ऐसी स्थिति में थायराइड हार्मोन(T 3 & T 4) का स्तर सामान्य से बढ़ सकता है

TSH हार्मोन का स्तर हाइपरथायराइड (Hyperthyroid) की स्थिति में सामान्य से कम हो जाता है


थायराइड के लक्षण (thyroid symptoms in hindi)

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि मुख्य रूप से थायराइड के विकार दो प्रकार के होते हैं

इसीलिए थायराइड के लक्षण, थायराइड के विकार (disorder) के प्रकार (type) पर निर्भर करते हैं

थायराइड disorders मे प्रमुख रूप से ज्यादातर लोगों में हाइपोथायराइड तथा हायपरथायराइड की समस्या पाई जाती है जिसके लक्षण इस प्रकार हैं जैसे कि हाइपो यानि थायराइड ग्रंथि का सामान्य से कम काम करना ऐसी स्थिति में मरीज को निम्नलिखित लक्षण महसूस हो सकते हैं जैसे कि… 

  • वजन का बढ़ना (weight gain)
  • ज्यादा ठंड महसूस होना (feel cold)
  • दिल की धड़कन कम होना (slower heart beat)

यह लक्षण हाइपोथायराइड के बिल्कुल आम लक्षण है इन लक्षणों को पहचानना किसी भी चिकित्सक के द्वारा बहुत आसान है 

परंतु थायराइड के मरीजों में कुछ लक्षण ऐसे भी होते हैं जिनको पहचानना बहुत मुश्किल होता है 

  • इन लक्षणों को अच्छा चिकित्सक ही पहचान सकता है

थायराइड के यह विशेष लक्षण इस प्रकार हैं जैसे कि…

१. ब्रेन फॉग (Foggy Brain) 

हमारे मस्तिष्क को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए कुछ एक ऐसे हारमोंस की जरूरत होती है जो थायराइड ग्रंथि के द्वारा निर्मित होकर मस्तिष्क को भेजे जाते हैं

अगर किसी भी कारणवश थायराइड ग्रंथि अपना कार्य सही से नहीं करती खासकर हाइपोथायराइड (hypothyroid) की स्थिति में तो ऐसी अवस्था में इस प्रकार के हारमोंस की कमी हमारे मस्तिष्क (brain) में होने लगती है 

जिस वजह से मस्तिष्क को अपना कार्य करने में दिक्कत होने लगती है 

ऐसे मे निम्नलिखित समस्याएं उस व्यक्ति में हो सकते हैं जैसे कि…

  • किसी भी विषय पर सही से ध्यान केंद्रित (Focus impairment) ना कर पाना
  • याददाश्त में कमी होना (low memory)
  • किसी भी विषय के बारे में सही से सोच ना पाना (decrease in clarity of thoughts)

२. मूड स्विंग (Mood changes) 

मानसिक स्वास्थ्य में सामान्य से ज्यादा बदलाव जैसे लंबे समय तक मानसिक अवसाद होना हाइपोथायराइड (hypothyroid) का लक्षण हो सकता है

ठीक इसी प्रकार किसी व्यक्ति के स्वभाव मे जरूरत से  ज्यादा चिंता, घबराहट, एंजाइटी आदि की स्थिति लंबे समय तक बने रहना हाइपरथायराइड (hyperthyroid) के लक्षण हो सकते हैं

  • अगर कोई गर्भवती महिला हाइपोथायराइड (hypothyroid) से ग्रसित है तो यह स्थिति उस महिला तथा होने वाले बच्चे दोनों के लिए बहुत खतरनाक है 

ऐसी स्थिति में गर्भपात, Stillbirth, जन्म के समय बच्चे का वजन कम होना, समय से पहले बच्चे की डिलीवरी होना, ब्लड प्रेशर का बढ़ना, pre-eclampsia आदि अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं

इसलिए गर्भावस्था में थायराइड की समस्या का बिल्कुल सही इलाज होना बहुत जरूरी है


३. मासिक धर्म में बदलाव (Period Problems)

थायराइड से ग्रसित लड़कियों में मासिक धर्म संबंधित अनेक प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि…

  • मासिक धर्म अत्यधिक मात्रा में होना
  • Menstrual cycle का अनियमित (irregular) होना
  • मासिक धर्म बहुत कम होना 
  • किशोरावस्था में मासिक धर्म शुरुआत में गड़बड़ी
  • मासिक धर्म का ना होना इत्यादि

अगर किसी लड़की को उसके पीरियड्स में कोई समस्या है तो ऐसी स्थिति में उसे थायराइड की जांच अवश्य करवानी चाहिए

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४. चेहरे की सूजन (Puffy Face)

थायराइड के कई मामलों में चेहरे पर खासकर आंखों के चारों तरफ विशेष प्रकार की सूजन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है 

यह स्थिति ज्यादातर हाइपोथायराइड (hypothyroid) के मामलों में देखने को मिलती है 

इस स्थिति का मुख्य कारण चेहरे की कोशिकाओं, उत्तको (cells,tissues) के भीतर अत्यधिक तरल पदार्थ (fluid collection) का इकट्ठा होना है


५. आंखों में धुंधलापन (Blurry Vision)

हाइपोथायराइड (hypothyroid) के कुछ मामलों में ज्यादा तरल पदार्थ का आंखों की आसपास की कोशिकाओं के भीतर इकट्ठा होने के कारण आंखों पर अत्यधिक दबाव पड़ने लगता है

इस दबाव के कारण कई बार मरीज को धुंधला दिखाई देना, किसी वस्तु का 1 से 2 दिखना तथा किसी वस्तु पर ध्यान केंद्रित करने में समस्या होना इत्यादि लक्षण हो सकते हैं

  • ठीक इसी प्रकार हाइपरथायराइड (hyperthyroid) के मामलों में भी कुछ व्यक्तियों को आंखों का आकार सामान्य से बड़ा (Grave disease) दिखने लगता है 

ऐसे व्यक्तियों को भी देखने में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है


६. कार्पल टनल सिंड्रोम (Carpal Tunnel Syndrome)

हाइपोथायराइड (hypothyroid) के मामलों में शरीर के भिन्न-भिन्न हिस्सों में तरल पदार्थ के उत्तको (tissues) के भीतर संचित होने के कारण आने वाली सूजन कलाई (wrist) से गुजरने वाली नसों (nerves like median,ulnar and radial) पर दबाव बनाने लगती है

  • जिसकी वजह से नसों के दबने (nerve compression) के कारण हाथो के कुछ हिस्सों में सुन्नपन, कमजोरी, सुई का चुभना या tingling sensation होने लगती है 

इस स्थिति को कार्पल टनल सिंड्रोम कहते हैं, हाइपोथायराइड (hypothyroid) के कुछेक मामलों में यह लक्षण भी हो सकता है

इस प्रकार का लक्षण होने पर तुरंत ही अपने न्यूरोलॉजिस्ट (neurologist) से परामर्श कर इसका सही से निदान करवाना चाहिए


७. मुंह का स्वाद बिगड़ना (Alter Food Taste)

थायराइड हार्मोनस का असंतुलन (imbalance) होने के कारण कई व्यक्तियों में खाने के स्वाद में बदलाव के लक्षण भी देखे गए हैं 

वैज्ञानिक तौर पर यह माना जाता है कि थायराइड हार्मोनस के असंतुलन होने की वजह से भोजन का स्वाद जो जिहवा (tongue) द्वारा महसूस किया जाता है तथा जिस स्वाद को हमारा मस्तिष्क पहचानता है यह दोनों क्षेत्र प्रभावित होते हैं


८. ब्लड प्रेशर का बढ़ना (High BP)

हाइपोथायराइड (hypothyroid) के मामलों में ज्यादातर ब्लड प्रेशर अनियंत्रित रहता है 

  • जबकि हाइपरथायराइड (hyperthyroid) के ज्यादातर मामलों में ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ रहता है 

इसलिए ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर अपने थायराइड हारमोंस को भी चेक करवाना चाहिए


९. सेक्सुअल कमजोरी (Low Libido)

थायराइड ग्रंथि का सही प्रकार से कार्य ना करने के कारण हमारे शरीर में हारमोंस का असंतुलन हो जाता है जिसके कारण सेक्स को बढ़ाने वाले हार्मोन भी प्रभावित होने लगते हैं 

वैज्ञानिक तौर पर यह पाया गया है कि जिन व्यक्तियों को थायराइड से जुड़ी हुई कोई समस्या है ऐसे व्यक्तियों में सेक्सुअल कमजोरी एक प्रमुख लक्षण है

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१०. शौचालय की आदतों में बदलाव (Disturb Toilet habits) 

थायराइड से पीड़ित मरीजों में आँतो (intestine) से संबंधित कई प्रकार की गड़बड़ियां पाई जाती हैं

हाइपोथायराइड (hypothyroid) के मामलों में ज्यादातर मरीजों में कब्जियत (constipation) की शिकायत मुख्य रूप से पाई जाती है

इसके विपरीत हाइपरथायराइड (hyperthyroid) के मामलों में लैट्रिन का बार बार (loose motions) होना इत्यादि लक्षण हो सकते हैं


११. बालों का झड़ना (Hair loss)

जरूरत से ज्यादा बालों का झड़ना हाइपोथायराइड (hypothyroid) का लक्षण हो सकता है ऐसा कई प्रकार के वैज्ञानिक अनुसंधान में पाया क्या है


हाइपोथायराइड के सामान्य लक्षण (thyroid ke lakshan)

thyroid symptoms in hindi
वजन बढ़ना

मेटाबॉलिज्म कम होने के कारण शरीर का वजन बढ़ना (weight gain)

  • नाखूनों का कमजोर होना (nail weakness)
  • त्वचा का शुष्क होना (dry skin)
  • मांसपेशियों में अकड़न महसूस होना (muscle stiffness)
  • जोड़ों मे दर्द महसूस होना (joint pain)
  • बालों का झड़ना (hair fall)
  • कब्जियत की शिकायत होना (constipation)
  • स्मरण शक्ति कम होना (low memory)
  • चेहरे तथा आंखों के चारों तरफ सूजन होना (puffy face)
  • आवाज भारी होना (hoarseness of voice)
  • मानसिक अवसाद (depression)
  • अत्यधिक थकावट बने रहना (fatigue)
  • सर्दी के प्रति सहनशक्ति कम होना (cold intolerance)
  • मासिक धर्म अनियमित होना (irregular menstrual cycle)
  • रक्त में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना (cholesterol rise)
  • महिलाओं में बांझपन की शिकायत होना (infertility)

हाइपरथायराइड के सामान्य लक्षण (hyper thyroid symptoms in hindi)

thyroid symptoms in hindi
चिंता, घबराहट

मेटाबॉलिज्म बढ़ने के कारण शरीर का वजन कम होना (weight loss)

  • चिड़चिड़ापन बढ़ जाना (irritability)
  • चिंता, घबराहट की स्थिति बने रहना (anxiety, palpitations)
  • अत्यधिक पसीना आना (excessive sweating)
  • हाथों में कंपन होना (tremors)
  • बालों का कमजोर होना (hair weakness)
  • नींद ना आना (insomnia)
  • दिल की धड़कन बढ़ जाना (tachycardia)
  • अत्याधिक भूख लगना (increase hunger)
  • मासिक धर्म अनियमित होना (irregular menstrual cycle)
  • ओस्टियोपोरोसिस यानि हड्डियों का कमजोर पड़ना (osteoporosis)
  • ज्यादा गर्मी बर्दाश्त ना होना (heat intolerance)
  • आंखों का आकार सामान्य से बड़ा दिखना (abnormal eyes protrusion)
  • शोचालय जाने की आदतों में बदलाव होना (alter bowel habits)

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थायराइड रोग होने के प्रमुख कारण (Thyroid Causes in Hindi)

  • आहार में आयोडीन की मात्रा अत्यधिक कम या ज्यादा होने के कारण थायराइड ग्रंथि खास तौर पर प्रभावित होती है
  • अत्यधिक तनावपूर्ण जीवन भी थायराइड ग्रंथि पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है
  • थायराइड रोग का कारण अनुवांशिक (hereditary) भी हो सकता है
  • गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं मे हार्मोंस के असंतुलन के कारण थायराइड की शिकायत हो जाती है
  • आहार में सोया उत्पादों का जरूरत से ज्यादा सेवन करने से भी थायराइड रोग हो सकता है
  • खाने में सेलेनियम (Selenium) नामक तत्व की कमी के कारण भी थायराइड रोग हो सकता है
  •  Pituitary ग्रंथि में किसी भी प्रकार की समस्या होने के कारण भी थायराइड रोग हो सकता है

                                 thyroid kaise hota hai (reason of thyroid in hindi)

निम्नलिखित रोगों के कारण भी थायराइड की समस्या हो सकती है जैसे कि…

 हाशिमोटो थायराइडाइटिस (Hashimoto’s disease)

  • यह विकार थायराइड ग्रंथि के किसी एक हिस्से को निष्क्रिय बना देता है
  • यह एक प्रकार का autoimmune disorder है 
  • इस विकार के कारण ज्यादातर लोगों को हाइपोथायराइड (hypothyroid) की समस्या उत्पन्न होती है
  • ऐसे बहुत ही कम chances होते हैं कि जिसमें  Hashimoto’s disease के कारण हाइपरथायराइड (hyperthyroid) की समस्या हो

थायराइड ग्रंथि की सूजन (Thyroiditis)

  • किसी भी कारण थायराइड ग्रंथि में सूजन (inflammation) आने के कारण यह समस्या उत्पन्न होती है

आयोडीन की कमी

  • आहार में लंबे समय तक आयोडीन की कमी होने के कारण हाइपोथाइरॉएडिज्म (hypothyroidism) की शिकायत हो सकती है 

इसलिए आहार में आयोडाइज्ड नमक का इस्तेमाल करना चाहिए

ग्रेव्स डिजीज (Grave disease) 

  • यह एक autoimmune disorder है जिसमें रोगी के शरीर में विशेष प्रकार की एंटीबॉडीज (antibodies) बनने लगती हैं 
  • जो मुख्य रूप से थायराइड ग्रंथि को प्रभावित करती हैं जिस कारण हाइपरथायराइड (hyperthyroid) की शिकायत हो जाती है

गंडमाला रोग (goitre)

Goitre रोग में थायराइड ग्रंथि का आकार अनियमित रूप से बढ़ने लगता है 

कई बार थायराइड ग्रंथि में एक या एक से अधिक गांठें (lumps) भी बन जाती है

इस रोग का प्रमुख कारण आहार में आयोडीन की कमी का होना है


थायराइड रोग का निदान (tsh test in hindi)

किसी भी व्यक्ति में ऊपर लिखे लक्षणों के आधार पर थायराइड रोग के निदान के लिए चिकित्सकों के द्वारा एक विशेष प्रकार की रक्त जांच करवाई जाती है जिसे थायराइड प्रोफाइल टेस्ट कहते हैं

Thyroid profile test-

इस जांच में विशेष रुप से रक्त में मौजूद थायराइड हार्मोनस…

  • T3- Triiodothyronine  
  • T4- Thyroxine 
  • TSH- Thyroid stimulating hormone के स्तर की जांच कर थायराइड रोग का निदान किया जाता है

t3 t4 tsh normal range in hindi… 

  • Total Triiodothyronine (T-3)- 60 से 200 nanogram/dl 
  • Total Thyroxine (T-4)-  4.5 से 12 microgram/dl 
  • Thyroid Stimulating Hormone- 0.3 से 5.5 micro IU/ml 

विशेष ध्यान दे…

  • ज्यादा बढ़िया परिणाम प्राप्त करने के लिए थायराइड जांच खाली पेट करवाएं
  • एक बार थायराइड रोग का निदान एक रिपोर्ट में होने के बाद दूसरी लेबोरेटरी से भी थायराइड की जांच अवश्य करवाएं
  • अगर कोई हाइपोथायराइड (hypothyroid) से ग्रस्त व्यक्ति थायराइड जांच के लिए खून का नमूना दे रहा है तो उस दिन थायराइड की दवा सुबह खाली पेट ना खाएं
  • थायराइड की जांच हमेशा Reputed Laboratory से ही करवाएं
  • थायराइड रोग से पीड़ित व्यक्तियों को थायराइड की जांच कम से कम 6 से 8 हफ्ते के अंतराल पर दोबारा करवानी चाहिए
  • Lithium, Amiodarone, Biotin, Steroids व अन्य अवसादनाशक (antidepressants) दवाओं का सेवन थायराइड की जांच करवाने से कुछ दिन पहले बंद कर देना चाहिए इससे थायराइड जांच की रिपोर्ट पर असर पड़ता है

किसी भी प्रकार के वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के दौरान थायराइड की जांच ना करवाएं इससे भी थायराइड जांच रिपोर्ट प्रभावित हो सकती है


थायराइड का उपचार (treatment of thyroid in hindi)

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में थायराइड के रोगियों का उपचार निम्नलिखित तरीके से किया जाता है

हाइपोथॉयराडिज्म (treatment of hypothyroidism in hindi)-

टेबलेट Thyroxine (Thyroxine Tablet Uses in Hindi)

यह दवा हाइपोथायराइड के रोगियों को 12॰5 से 25 mcg प्रतिदिन के हिसाब से शुरू कर धीरे धीरे 3 से 4 सप्ताह के अंतराल पर इसकी मात्रा को परिणाम मिलने के हिसाब से बढ़ाया जाता है

इस दवा के सेवन से थोड़े दिनों में ही TSH (thyroid stimulating hormone) हार्मोन का स्तर सामान्य होने लगता है

Thyroxine टेबलेट के सेवन के दौरान हर 6 से 8 सप्ताह के बाद TSH हार्मोन के स्तर की जांच करवाना आवश्यक है

नोट…

जवान लोग (young adults) जिनका स्वास्थ्य अच्छा है वह Thyroxine tablet को 1.6 mcg/kg body weight के हिसाब से शुरू कर सकते हैं

वृद्ध लोग (elder people), हृदय रोग (IHD) से पीड़ित व long standing hypothyroidism से पीड़ित व्यक्तियों को Thyroxine दवा की कम से कम मात्रा से शुरुआत करनी चाहिए

Thyroxine टेबलेट का इस्तेमाल सुबह खाली पेट चाय या कॉफी पीने से कम से कम आधा घंटा पहले करना चाहिए


Thyroxine टेबलेट का अन्य दवाइयों के साथ इंटरेक्शनस (Thyroxine Tablet Uses in Hindi)

  • Phenytoin 
  • Carbamazepine 
  • Phenobarb 
  • Rifampicin 

का सेवन करने वाले व्यक्तियों को Thyroxine दवा की अधिक मात्रा (excessive dose) की जरूरत पड़ती है जबकि…

  • Bile acids 
  • Ferrous sulphate 
  • Aluminium hydroxide 
  • Sucralfate 

आदि साल्ट Thyroxine दवा के अवशोषण (absorption) को कम करते हैं

  • इसीलिए इन दवाइयों से Thyroxine दवा का अंतराल कम से कम 4 से 5 घंटे का होना जरूरी है

गर्भावस्था के दौरान भी हाइपोथायराइड रोगी को Thyroxine दवा की रिक्वायरमेंट बढ़ जाती है

  • Tablet Thyroxine (Eltroxin,Thyronorm) मेडिकल स्टोर्स पर 25,50,75,100 माइक्रोग्राम की strength मे उपलब्ध है

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हाइपरथॉयराइडिज्म का इलाज़ (thyroid symptoms in hindi)

Rx… 

  • Tablet Carbimazole (Neomercazole) 30 से 60 Mg प्रतिदिन एक खुराक या तीन खुराकों मे बांट (divide) कर देनी चाहिए या 
  • Propylthiouracil (PTU) दवा का इस्तेमाल 300 से 600 mg प्रतिदिन के हिसाब से हाइपर थायराइड के रोगी को दी जा सकती है

इस दवा के सेवन के दौरान 6 से 8 सप्ताह के अंतराल पर T3 व T4 हार्मोन के स्तर की जांच अवश्य करवानी चाहिए

अगर थायराइड हार्मोन का स्तर दवा का सेवन करने के बावजूद भी सामान्य ना हो तो ऐसी स्थिति में Endocrinologist चिकित्सक से परामर्श कर इलाज करवाना चाहिए

अगर हाइपरथायराइड का मरीज Neomercazole दवा के प्रति संवेदनशील है या Severe  Thyrotoxicosis या Large Nodular Goitre या दवाइयों से कोई फर्क ना पढ़ने की स्थिति मे है तो ऐसे में निम्नलिखित उपचार भी चिकित्सकों के द्वारा किए जाते हैं

Note… 

इस दवा के सेवन के दौरान खासकर बुजुर्ग व्यक्तियों को कैल्शियम कार्बोनेट (Tablet shelcal,sandocal)  का सेवन करना भी जरूरी है


थायराइड का होम्योपैथिक समाधान (thyroid best medicine in homeopathy)

In hypothyroid… 

होम्योपैथी में अनेक प्रकार की दवाइयों का इस्तेमाल थायराइड रोग के लिए किया जाता है इसमें से हाइपोथायराइड के मरीजों में प्रयोग होने वाली मुख्य दवाइयां इस प्रकार हैं जैसे कि…

Tuberculinum B 1 M potency दवा से इलाज की शुरुआत करनी है

  • इस दवा की दो बूंदे सुबह लेने के बाद अगले 24 घंटे तक कोई भी दवाई नहीं लेनी

Thyroidinum 3X पोटेंसी की दवा– दो दो गोली सुबह, दोपहर तथा रात को चबाकर लगातार डेढ़ से 2 महीने के लिए लेने के पश्चात थायराइड जांच करवाएं

Calcarea Carbonica 30 CHहाइपोथायराइड के जिन रोगियों को कब्जियत की या मासिक धर्म में बदलाव के लक्षण ज्यादा हो ऐसे रोगियों के लिए यह दवा बहुत ही लाभकारी है 

  • इसका सेवन दो बूंद सुबह दोपहर तथा रात को लगातार डेढ़ से 2 महीने करने के बाद थायराइड की जांच करवानी चाहिए

Sepia 30 CHहाइपोथायराइड के रोगी जैसे महिलाएं जो शारीरिक रूप से पतली हो, चिड़चिड़ापन अधिक हो ऐसे रोगियों के लिए इस दवा का सेवन बहुत लाभकारी है

  • इस दवा की मात्रा दो बूंद सुबह दोपहर तथा रात को सीधे जिहवा पर डालकर लगातार एक से 2 महीने लेने के पश्चात थायराइड की जांच करवानी चाहिए

Phytolacca D 30 by Dr Reckewegहाइपोथायराइड (hypothyroid) के वह मरीज जो मोटे हो, जिनका पेट बाहर निकला हुआ हो ऐसे रोगियों के लिए इस दवा का सेवन बहुत लाभकारी है

  • इस दवा को दो बूंद सुबह दोपहर तथा रात को सीधे जिहवा (tongue) पर लगातार 1 से 2 महीने लेने के पश्चात थायराइड की जांच करवानी है

Baryta Carb 30 by Dr Reckeweg

यह दवा खासकर बच्चों के लिए जो थायराइड डिसऑर्डर से प्रभावित हो उनके लिए बहुत हितकारी है

  • इस दवा की मात्रा एक से दो बूंद दिन में तीन बार लगातार 4 से 6 महीने के लिए दी जाती है

Pulsatilla Nigricans 30 CH by SBL हाइपोथायराइड से पीड़ित महिलाएं जिनको मासिक धर्म अनियमित हो, ऐसी महिलाओं के लिए इस दवा का सेवन बहुत अच्छा है

  • मात्रा दो बूंद सुबह दोपहर तथा रात को दिन में तीन बार लेनी है

नोट… 

थायराइड के होम्योपैथिक उपचार के लिए होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श कर इलाज करवाने से ही अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं 

इसलिए थायराइड के रोगी को होम्योपैथिक विशेषज्ञ से सलाह मशवरा करने के बाद ही इन दवाइयों का सेवन सही प्रकार से करना चाहिए तथा साथ ही साथ इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि होम्योपैथिक उपचार के परिणाम आने में थोड़ा लंबा समय लगता है इसलिए इलाज के दौरान सब्र (patience) बनाए रखें

  • अगर कोई हाइपोथायराइड (hypothyroid) का मरीज होम्योपैथिक उपचार शुरू करता है तथा पहले इसके लिए अंग्रेजी दवाई खा रहा है 

तो ऐसी स्थिति में मरीज को अंग्रेजी दवाई को एकदम से बंद नहीं करना चाहिए,

बल्कि कुछ महीनों बाद धीरे धीरे कम कर चिकित्सक से परामर्श करने के बाद ही इन दवाइयों को बंद करना चाहिए


थायराइड की आयुर्वेदिक दवा (thyroid ka ayurvedic ilaj)

थायराइड की समस्या को ठीक करने के लिए पतंजलि आयुर्वेद की दवा Tablet Thyrogrit आयुर्वैदिक स्टोर्स पर उपलब्ध है

यह दवा 60 गोलियों की पैकिंग के रूप में मिलती है

थायराइड की किसी भी प्रकार की समस्या चाहे हाइपोथायराइड हो या हायपरथायराइड हो दोनों प्रकार के विकारों के लिए काफी लाभप्रद है

  • Thyrogrit टेबलेट की दो गोली सुबह तथा दो गोली शाम को लगातार 2 से 3 महीने लेने से थायराइड रोग के लक्षणों में काफी सुधार होता है

गर्भवती महिलाओं को इस दवा के सेवन से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है

Thyrogrit जड़ी बूटियों से तैयार की गई शुद्ध आयुर्वेदिक दवाई है जिस के साइड इफेक्ट्स ना के बराबर है

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थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार (treatment of thyroid in hindi)

आयुर्वेद में थायराइड रोग का मुख्य कारण वात, पित्त तथा कफ दोषों का असंतुलन है

इसमें प्रमुख रूप से हाइपोथायराइड (hypothyroid) का कारण वात तथा कफ दोष का प्रकोप होना है तथा पेट की अग्नि (जठराग्नि) धीमी पड़ जाती है

हाइपरथायराइड (hyperthyroid) का कारण वात तथा पित्त दोष के प्रकोप के कारण है तथा पेट की अग्नि (जठराग्नि) तीव्र हो जाती है

  • आयुर्वेद में थायराइड रोग के उपचार के लिए कोई विशेष प्रकार की जड़ी बूटी नहीं है

बल्कि अनेक प्रकार की जड़ी बूटियों के मिश्रण से तैयार की गई कुछेक शास्त्रीय योग थायराइड रोग के उपचार में काफी कारगर है

  • उदाहरण के लिए कचनार गूगल (Kanchnar guggul) जड़ी बूटियों से निर्मित बहुत ही बढ़िया आयुर्वेदिक दवा है जिसका इस्तेमाल थायराइड के रोग में सफलतापूर्वक कई वर्षों से किया जाता रहा है

इन शास्त्रीय योगो से लाभ प्राप्त करने के लिए रोगी को अपने आहार अपनी दिनचर्या का विशेष रूप से ध्यान देना जरूरी है

आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन के साथ-साथ निम्नलिखित उपाय करने से थायराइड रोग के लक्षणों में काफी सुधार होता है…

प्राणायाम करना-

  • प्रतिदिन प्राणायाम की प्रैक्टिस करने से थायराइड रोग के लक्षणों में काफी सुधार होता है
  • प्राणायाम करने से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है तथा यह थायराइड ग्रंथि के सुचारू रूप से कार्य करने में भी मदद करता है

Ujjayi प्राणायाम 5 मिनट हर रोज करने से थायराइड रोग के लक्षणों में काफी सुधार होता है


योगा करना (Yoga for Thyroid Disease)yoga for thyroid in hindi

हर दिन योगा का अभ्यास करने से शरीर तथा मन दोनों स्वस्थ होते हैं दोषों का असंतुलन धीरे-धीरे ठीक होने लगता है योगा में अनेक प्रकार के ऐसे आसन है जिनको करने से थायराइड रोग के लक्षणों में बहुत लाभ होता है

  • Tank vidya योगा की प्रैक्टिस प्रतिदिन 5 मिनट करने से थायराइड रोग के लक्षणों में काफी सुधार होता है

Ustrasana, singhasana, Sarvangasana, halasana, matsyasana, bhujangasana
की प्रैक्टि हर दिन करना थायराइड के लिए बहुत उपयोगी है


दूध तथा दूध से बने पदार्थों का त्याग-

आयुर्वेद में हाइपोथायराइड का मुख्य कारण कफ दोष का बढ़ना माना गया है इसलिए थायराइड के रोगी को अपने आहार में दूध तथा दूध से बने पदार्थों का त्याग करना चाहिए

क्योंकि यह सारे पदार्थ शरीर में कफ दोष को बढ़ाते हैं कफ बढ़ने से हाइपोथायराइड के लक्षणों में भी बढ़ोतरी होती है

इसलिए इस चीज का ध्यान हाइपोथायराइड (hypothyroid) के मरीज जरूर रखें


वातदोष शामक आहार का सेवन-

थायराइड रोग के लक्षणों में सुधार करने के लिए थायराइड रोगी को वात शामक आहार का सेवन करना बहुत जरूरी है

बेसन, मैदा, पैकेज्ड फूड, फ्राइड फूड या अन्य प्रकार के ऐसे खाद्य पदार्थ जिनके कारण शरीर में वात दोष की बढ़ोतरी हो ऐसे पदार्थों का सेवन थायराइड रोगी को नहीं करना चाहिए


प्रतिदिन सेर करना-

हर दिन सेर करने से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है जिस कारण थायराइड रोग के साथ-साथ अन्य प्रकार की बिमारियों से भी हमारी रक्षा होती है


अभ्यंग थेरेपी-

  • आयुर्वेद में अभ्यंग यानि जड़ी बूटियों के मिश्रण से तैयार किए हुए तेल से शरीर की मालिश करना
  • अभ्यंग करने से शरीर की मांसपेशियों, नसों तथा अन्य अंगों में ब्लड सरकुलेशन बढ़ता है 
  • यह थायराइड रोग में भी काफी सुधार करता है

आयुर्वेद में अभ्यंग को अनेक प्रकार के रोगों के इलाज के लिए हितकारी माना जाता है


मेडिटेशन करना- 

अत्यधिक तनावपूर्ण जीवन थायराइड रोग की उत्पत्ति का प्रमुख कारण माना जाता है 

तनाव को कम करने के लिए तथा मानसिक स्वास्थ्य व एकाग्रता को बढ़ाने के लिए हर दिन मेडिटेशन करना चाहिए

मेडिटेशन करने से थायराइड रोग के लक्षणों में बहुत सुधार होता है


धनिया बीज़ (coriander seeds) पानी का प्रयोग-

रात को सोते समय एक से दो चम्मच कूटा हुआ धनिया बीज़ एक गिलास पानी में डालकर रात भर के लिए रख दें

सुबह इस मिश्रण को धीमी आंच पर गर्म करें तथा जब यह मिश्रण आधा रह जाए तो इस मिश्रण को छानकर कांच के गिलास में डालकर धीरे-धीरे इसका सेवन करें

याद रखें इस मिश्रण के सेवन से आधा घंटा आगे या पीछे कुछ भी ना खाए


थायराइड के रोगियों के लिए परहेज (Your Diet in Thyroid Disease)

थायराइड रोग से ग्रसित व्यक्तियों को नीचे लिखें खाद्य पदार्थों को सीमित मात्रा में ही प्रयोग करना चाहिए क्योंकि यह आहार खाद्य पदार्थ का ज्यादा सेवन थायराइड ग्रंथि के द्वारा थायराइड हार्मोनस के निर्माण को बुरे तरीके से प्रभावित करते हैं 

इसके साथ साथ ये थायराइड की दवाई के अवशोषण (absorption) में भी बाधा डालते हैं 

यह खाद्य पदार्थ इस प्रकार हैं जैसे कि…

1. Avoid सोया उत्पाद

सोयाबीन से बने हुए अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ जैसे…thyroid symptoms in hindi

Soya पनीर (tofu)

  • सोया मिल्क
  • Soya beans
  • सोयाबीन का तेल
  • Soya flour 
  • सोया sauce 
  • Edamame 
  • Miso paste 
  • Yuba
  • सोया चाप 
  • सोयाबीन की फलियां 

इन भिन्न भिन्न प्रकार के सोया उत्पादों में Isoflavonoids नामक केमिकल होता है जो थायराइड ग्रंथि के द्वारा थायराइड हार्मोन के निर्माण को कम कर देता है 

इसके साथ साथ यह केमिकल (isoflavones) थायराइड की दवाई के अवशोषण (absorption) में भी रुकावट डालता है

सोया उत्पादों को थायराइड के मरीज को बहुत ही सीमित मात्रा में प्रयोग करना चाहिए,  अगर प्रयोग कर रहे हैं तो थायराइड की गोली से इनका अंतराल ज्यादा से ज्यादा रखें


2. क्रूसिफेरस (Cruciferous) सब्जियां ना खाएं

इन सब्जियों के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं जैसे कि…thyroid symptoms in hindi

फूलगोभी (cauliflower) 

  • पत्तागोभी (cabbage) 
  • ब्रोकली (broccoli)
  • शलगम (turnip)
  • केल (kale)
  • पालक (spinach)

इन सब्जियों को Goitrogenic भी कहते हैं 

क्योंकि इनमें विशेष प्रकार के केमिकल्स जैसे Goitrins, Thiocyanates, Flavonoids होते हैं

  • यह केमिकल्स थायराइड हार्मोनस के निर्माण में रुकावट डालते हैं  
  • साथ ही साथ थायराइड की दवा का अवशोषण (absorption) भी कम करते हैं 
  • इसके साथ साथ यह सब्जियां आयोडीन के अवशोषण को भी कम करती है 
  • आयोडीन थायराइड ग्रंथि को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए बहुत जरूरी है

इसलिए इन सब्जियों का सेवन थायराइड के रोगी को सीमित मात्रा (100 से 150 ग्राम तक) में हफ्ते में एक से दो बार तक ही करना चाहिए

  • बाकी कच्ची अवस्था (raw) में इन सब्जियों का सेवन ना करें बल्कि हमेशा पकाकर ही खाएं

पकाकर खाने से इनका Goitrogenic effect काफी कम हो जाता है


3. ग्लूटेन (Gluten) वाले खाद्य पदार्थ

ग्लूटेन एक विशेष प्रकार का प्रोटीन है जो गेहूं (wheat), जौ (barely ), रवा, औट्स (oats) जैसे अनाजों (grains) में पाया जाता है

  • थायराइड के कुछ रोगियों को सिलियक डिजीज (celiac disease) नामक बीमारी भी होती है 
  • जिसमें ग्लूटेन प्रोटीन के कारण आंतों में सूजन (inflammation) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है 
  • इसके साथ साथ खाने के पाचन तथा अवशोषण में भी बाधा उत्पन्न हो जाती है
  • थायराइड तथा सिलियक डिजीज दोनों ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है जो कई मरीजों में इकट्ठे पाए जाते हैं
  • थायराइड के रोगियों को ग्लूटेन वाले अनाज के सेवन से बचना चाहिए
  • अगर इस्तेमाल करना ही है तो Whole grains यानि  पूरा दानेदार अनाज का ही इस्तेमाल करें 

प्रोसैस्ड grains जैसे मैदा आदि पदार्थों में ग्लूटेन की मात्रा ज्यादा होती है इसलिए इनके सेवन से दूर रहे


4. तला हुए खाने से परहेज (fried foods)thyroid symptoms in hindi

फ्राइड फूड्स का इस्तेमाल ज्यादा करने से शरीर में कोलेस्ट्रोल (cholesterol) बढ़ने लगता है 

जिस कारण ब्लड प्रेशर का बढ़ना तथा दिल के रोग होने की संभावना भविष्य में बढ़ जाती है

  • थायराइड के रोगियों में भी कोलेस्ट्रॉल तथा ब्लड प्रेशर बढ़ने के लक्षण पाए जाते हैं 

इसलिए थायराइड रोगियों को फ्राइड फूड जैसे पकोड़े (fritters), समोसे, भजिया इत्यादि पदार्थों के सेवन से परहेज करना चाहिए

  • फ्राइड फूड का सेवन ज्यादा करने से थायराइड हार्मोनस के बनने में बाधा उत्पन्न होती है

साथ ही साथ इस प्रकार के पदार्थ थायराइड की दवाई के अवशोषण (absorption) को भी कम कर देते हैं


5. सफेद शर्करा (white sugar) का परहेजthyroid symptoms in hindi

थायराइड के रोगियों में मेटाबॉलिज्म कम होने के कारण वजन बढ़ने की शिकायत प्रमुख रूप से होती है

  • सफेद शर्करा का ज्यादा प्रयोग करने से मोटापा बढ़ने लगता है 

जिस कारण स्त्रियों में PCOD, Diabetes तथा अन्य प्रकार की ओर भी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है

  • बाकी सफेद शर्करा की न्यूट्रीशनल वैल्यू (nutritional value) ना के बराबर होती है 

इसके साथ साथ इसकी लत (more addiction potential) भी शरीर को पड़ जाती है 

इसलिए सफेद शर्करा का सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में थायराइड रोगियों को करना चाहिए


6. प्रोसेस्ड पैकेज्ड फूड से बचें (Avoid Processed packaged foods)

अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ जो कि बंद पैकेट्स या  कांच के जार में मिलते हैं 

  • जैसे कि भुजिया, पीनट्स, आचार, चिप्स, अनेक प्रकार के नमकीन खाद्य पदार्थ आदि

इन पदार्थों में नमक तथा तेल का इस्तेमाल जरूरत से ज्यादा मात्रा में किया जाता है 

नमक में सोडियम नाम तत्व ज्यादा होता है जिसका सेवन करने से ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है

  • अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन यह सलाह देता है कि प्रतिदिन आहार में नमक की मात्रा 1500 mg से ज्यादा नहीं होनी चाहिए

थायराइड के रोगियों में भी ब्लड प्रेशर बढ़ने के लक्षण होते हैं, इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थों का परहेज थायराइड के रोगियों को अवश्य करना चाहिए


7.फाइबर का कम प्रयोग 

आहार में खाने को सही से पचाने के लिए फाइबर का होना बहुत जरूरी है

  • परंतु जरूरत से ज्यादा मात्रा में फाइबर वाले खाने का इस्तेमाल करने से खाने के पाचन तथा अवशोषण में दिक्कत होती है
  • ज्यादा मात्रा में फाइबर खाने से थायराइड की गोली के अवशोषण में भी बाधा उत्पन्न होती है 

इसलिए थायराइड के रोगियों को सीमित मात्रा (25 से 40 ग्राम तक) में ही फाइबर का इस्तेमाल अपने खाने में करना चाहिए


 8. कॉफी का कम प्रयोग

थायराइड के रोगियों को पूरे दिन में 1 से 2 कप कॉफी ही पीनी चाहिए

  • वैज्ञानिकों के अनुसार ज्यादा मात्रा में कॉफी का सेवन थायराइड के स्वास्थ्य के लिए बहुत बुरा है

साथ ही साथ कॉफी की लत भी शरीर को पड़ जाती है


9. शराब का करें परहेज

शराब का ज्यादा सेवन करने से थायराइड हार्मोन के निर्माण में बाधा उत्पन्न होती है ऐसा कई प्रकार के वैज्ञानिक अनुसंधान में पाया गया है

  • इसलिए थायराइड के रोगियों को शराब का सेवन चाहे वह किसी भी तरह से हो जैसे व्हिस्की, वोडका, रम, gin, बियर इत्यादि के सेवन से बचना चाहिए

इन सभी खाद्य पदार्थों के अलावा कुछ अन्य खाद्य पदार्थ जैसे आडू (peaches), स्ट्रौबरी (strawberry), मूंगफली(peanuts), अखरोट, मूली भी थायराइड के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है 

ऐसे पदार्थों का भी सेवन थायराइड के रोगियों को कम से कम करना चाहिए

Information source- Dr Tanvi Mayur Patel Endocrinologist Mumbai थायराइड एक्सपर्ट 


थायराइड रोगों का घरेलू उपचार (Home Remedies for Thyroid Disease in Hindi)

१. धनिया (coriander seeds) हिम का प्रयोगthyroid symptoms in hindi

हाइपरथायराइड (hyperthyroid) के रोगियों के लिए धनिया हिम का प्रयोग बहुत ही लाभकारी होता है 

  • ऐसा इसलिए है क्योंकि हाइपरथायराइड में पेट की अग्नि तीव्र होने के कारण उसको शांत करने के लिए शीतल पेय पदार्थों के जरूरत होती है

इसके लिए डेढ़ से दो चम्मच सूखे धनिया बीज (कूटे हुए- not in grinder) एक गिलास पानी में डालकर रात भर के लिए रख दें

अगली सुबह इन बीजों को अच्छी प्रकार से हाथों से मसलकर इस मिश्रण को छानकर कांच के गिलास में डालें, इसे धनिया हिम कहते हैं 

  • इस हिम का सेवन दिन में एक से दो बार खाना खाने से आधे से एक घंटा पहले या बाद में लगातार डेढ़ से 2 महीने करें

धनिया हिम का प्रयोग करने से हाइपरथायराइड (hyperthyroid) के लक्षणों में बहुत सुधार होता है


२. धनिया क्वाथ का प्रयोग (Dhaniya: Home Remedy for Thyroid Treatment in Hindi)

इस कवाथ का प्रयोग हाइपोथायराइड (hypothyroid) के इलाज के लिए किया जाता है इसके लिए डेढ़ से दो चम्मच सूखा धनिया बीज (कूटे हुए) एक से डेढ़ गिलास पानी में डालकर रात भर के लिए रख दें 

  • अगली सुबह इस मिश्रण को धीमी आंच पर गर्म करें, जब यह मिश्रण तीसरा हिस्सा शेष रह जाए तो इसे छानकर कांच के गिलास में डालें

इस धनिया क्वाथ का सेवन लगातार 2 से 3 महीने करने के बाद हाइपोथायराइड (hypothyroid) के रोगी अपनी थायराइड की जांच दोबारा करवा कर देखें


३. अखरोट के तेल (walnut oil) की मालिश…

  • रात को सोते समय 4 से 5 बूंदे अखरोट के तेल की मालिश गर्दन के आगे वाले हिस्से की करने से थायराइड रोग के लक्षणों में बहुत सुधार होता है 

आयुर्वेद में अखरोट के तेल को बहुत लाभकारी माना जाता है


४. Aloe Vera का प्रयोग (thyroid foods to eat in hindi)

thyroid foods to eat in hindi
एलोवेरा

 थायराइड रोग से मुक्ति पाने के लिए एलोवेरा का प्रयोग रामबाण इलाज है

  • एलोवेरा में अनेकों प्रकार के detoxifying agents मौजूद होते हैं 
  • जिनका सेवन करने से थायराइड ग्रंथि की कोशिकाओं में मौजूद हेवी मेटल्स (heavy metals) बाहर निकल जाते हैं

एलोवेरा का प्रयोग लगातार करने से धीरे धीरे थायराइड की दवाइयों से मुक्ति मिल जाती है तथा थायराइड ग्रंथि अपना कार्य सही प्रकार से करने लगती है

इसके लिए एलोवेरा पौधे के पत्ते में से उसका गूदा निकालकर 5 से 10 ग्राम की मात्रा में सुबह खाली पेट सेवन किया जा सकता है

इसके अलावा बढ़िया क्वालिटी का एलोवेरा जूस मार्केट से खरीद कर भी प्रयोग किया जा सकता है


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Flax seeds

५. अलसी के बीजों का प्रयोग (Benefits of Flaxseed Powder for Thyroid in Hindi)

अलसी के बीजों में विटामिन बी 6, मैग्नीशियम तथा लिनोलेनिक एसिड (linolenic acid) होता है

जोकि थायराइड ग्रंथि को अपना कार्य सही प्रकार से करने के लिए बहुत जरूरी है

  • अलसी के बीजों का निरंतर सेवन करने से थायराइड रोग धीरे-धीरे ठीक होने लगता है

इसके लिए अलसी के बीजों को तवे पर थोड़ा भून कर 5 से 10 ग्राम की मात्रा में खाना खाने से एक घंटा पहले या बाद में इस्तेमाल करना चाहिए

अलसी के बीज कुछ खाद्य पदार्थों के साथ प्रतिक्रिया करते हैं 

इसलिए इन्हें किसी भी खाद्य पदार्थ के साथ ना खाएं बल्कि 1 से 2 घंटे आगे या पीछे सेवन करें


६. मुलेठी का प्रयोग (Benefits of Liquorice for Thyroid in Hindi)

निरंतर रूप से मुलेठी का सेवन करने से थायराइड ग्रंथि धीरे धीरे ठीक होने लगती है 

  • मुलेठी के सेवन से थायराइड ग्रंथि को थायराइड हार्मोन स्त्राव करने में बहुत मदद मिलती है 
  • इसके अलावा थायराइड रोग के कारण शरीर के अभ्यंतर होने वाले दुष्परिणामों को भी मुलेठी ठीक करती है 

इसके लिए सुबह शाम मुलेठी का छोटा टुकड़ा जीवा (tongue) पर रखकर चूसना चाहिए


७. गेहूं के जवारे का सेवन (Benefits of Wheat-grass for Thyroid in Hindi)

गेहूं का जवारा या wheat-grass मे मौजूद सेलेनियम, अमीनो एसिड्स, कैल्शियम, विटामिन D3 इत्यादि तत्व थायराइड ग्रंथि को थायराइड हार्मोनस को बनाने में बहुत मदद करते हैं

  • इसके अतिरिक्त व्हीटग्रास के सेवन से यकृत को ताकत मिलती है 

यकृत शुद्ध होता है यकृत शुद्ध होने से यह T 4 हार्मोन जो कि असक्रिय होता है उस हार्मोन को T 3 में बदल देता है जो सक्रिय होता है

इसके लिए थायराइड रोगी को ताजे व्हीटग्रास का जूस प्रतिदिन 25 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह खाली पेट कुछ महीनों के लिए लगातार प्रयोग करना चाहिए

व्हीटग्रास जूस ना मिलने पर इसके चूर्ण का इस्तेमाल भी किया जा सकता है

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निष्कर्ष (thyroid symptoms in hindi)

इस आर्टिकल मे थायराइड रोग के प्रमुख कारण, लक्षण, निदान, उपचार व परहेज का विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है

कृपया इस आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसका सही से लाभ उठाएं तथा ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर कर थायराइड रोग से पीड़ित व्यक्तियों की मदद करें

कृपया इस आर्टिकल में दी गई अंग्रेजी दवाइयों (thyroxine, levothyroxine) का इस्तेमाल अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करें


अस्वीकरण (thyroid symptoms in hindi)

इस post में दी गई दवाइयों की जानकारी आपको या आपके द्वारा किसी और को खुद से (Self medication) अपनी मर्जी से दवा लेने की सलाह नहीं देती है

किसी भी प्रकार की स्थिति में कोई भी medicine लेने से पहले अपने doctor से परामर्श अवश्य करें

यदि कोई व्यक्ति इस post को पढ़कर खुद से किसी दवा का इस्तेमाल करता है तो ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार के नुकसान के लिए वह खुद ही जिम्मेदार होगा धन्यवाद

Information compiled by- Dr. Vishal Goyal BAMS (Bachelor in Ayurvedic Medicine and Surgery) M.D.(A.M.)

Mail me at- [email protected]

thyroid symptoms in hindi पढने के लिए आपका धन्यवाद…


सन्दर्भ:

https://www.lybrate.com/hi/medicine/neo-mercazole-5mg-tablet– neomercazole study

https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/hypothyroidism/symptoms-causes/syc-20350284- hypothyroid symptoms

https://www.healthline.com/health/hyperthyroidism#symptoms- hyperthyroid study/symptoms


 

 

 

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